मशहूर नेफ़रॉलाजिस्ट (गुर्दारोग विशेषज्ञ)
डा. राजन रविचन्द्रन कहते हैं
"मधुमेह और उच्च रक्तचाप, जीर्ण गुर्दा रोग (क्रानिक किडनी डिसीज़ – सी के डी) की ओर ले जा सकते हैं " >>
२० वर्ष से अधिक व्यक्ति, जिसके सिस्टोलिक रक्तचाप, दो अलग अलग अवसरों पर आरामदायक बैठी हुई स्थिति में रिकार्ड की गई हो, अगर १४० एम.एम. पारा के बराबर या अधिक हो, और
डायस्टोलिक रक्तचाप ९० एम.एम. पारा के बराबर या अधिक हो, तो ऐसा व्यक्ति उच्च रक्तचापवाला (हैपरटेन्सिव) माना जाता है।
अगर सिस्टोलिक रक्तचाप १२० और १३९ के बीच हो, या डायस्टोलिक रक्तचाप ८० और ८९ के बीच हो, तो ऐसा व्यक्ति प्रारम्भिक रक्तचापवाला (प्रि-हैपरटेन्स) माना जाता है। भविष्य में ऐसे व्यक्ति को उच्च रक्तचाप के लिये निगरानी रखना जरूरी है।