उच्च रक्तचाप को काबू में रखने के लिये कुछ सुझाव उच्च रक्तचाप और जीर्ण गुर्दा रोग (सी.के.डी) घर में रक्तचाप की निगरानी घर में रक्तचाप का माप लेने से अनुपालन बेहतर होता है और नियन्त्रण भी आसान होता है।
क्लिनिक में लिया हआ रक्तचाप का माप भावनाओं की वजह से (सफेद कोट सिन्ड्रोम) उच्च हो सकता है।
अगर शक हो, २४ घंटे एम्बुलेटरी (नियमित अंतराल में) रक्तचाप का माप ले सकते हैं जिससे विभिन्न परिस्थितियों में रक्तचाप में जो परिवर्तन होता है, उसे पहचान सकते हैं।
नमक खपत
उच्च रक्तचाप का आम कारण है नमक की खपत।
सांस्कृतिक रूप से देखें तो, हमारा आहार, खासकर हिन्दुस्तानी आहार में नमक अधिक मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है (आचार)।
जो खेतों में काम करते हैं और बहुत पसीना बहाते हैं, नमक की क्षति से जो थकावट होती है उसकी पूर्ति करने के लिये आहार में ज़्यादा नमक लेते हैं।
लेकिन इस आधुनिक समय में हम बहुत कम पसीना बहाते हैं क्योंकि घर हो या दफतर, वातानुकूल माहौल होता है।
यह अनिवार्य है कि रक्तचाप पर नियंत्रण रखने के लिये हम नमक की खपत कम करें।
शारीरिक गतिविधि व्यायाम रक्तचाप को कम करने के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है।
सभी प्रकार के ऐसोटानिक व्यायाम जिसमें मांसपेशी के तनाव में असर नहीं होता मगर खिंचाव में असर होता है (जैसे एरोबिक व्यायाम, मुक्तहस्त व्यायाम, चलना, इत्यादि) रक्तचाप समय की अवधि में ५ से १० मि.मि. कम हो सकता है।
ऐसोमेट्रिक व्यायाम (जैसे भारी वजन उठाना, रेसिस्टन्स अभ्यास जो ताकत बढ़ाने के लिये किया जाता है) रक्तचाप को बढ़ायेंगे।
शारीरिक जानकारी देने वाले तंत्र योग, ध्यान, संगीत चिकित्सा, इत्यादि तंत्रिका से निकलनेवाले आवेगों को कम करके, रक्तचाप में घटौती कर सकते हैं। बदन के वजन, बी-एम-आई (बाडी मास इन्डैक्स), कमर कूल्हा अनुपात, इत्यादि मोटापा का नाता उच्च रक्तचाप से है, बदन का वजन कम करने से, रक्तचाप कम होता है। दवाइयाँ॑ दवाइयों द्वारा चिकित्सा फिजिशियन (योग्य चिकित्सक) की उचित निगरानी में ही दी जानी चाहिये।
रक्तचाप को काबू में रखने के लिये बहुत सारी दवाइयों के समूह उपलब्ध हैं।
- डयुरेटिक्स (थियाज़ाइड जैसे)
ये दवाइयाँ॑ गुर्दे द्वारा नमक को निकालते हैं जिसकी वजह से रक्तचाप कम होता है।
सामान्य अतिरिक्त प्रभाव: कमज़ोरी, पोटेशियम की कमी
- केल्शियम चेनल ब्लाकर्स (जैसे निफेडिपैन, अम्लोडिपैन, इत्यादि)
ये दवाइयाँ॑ रक्त वाहिकाओं में केल्शियम के कोशीय प्रवेश को रोकती हैं और रक्त वाहिकओं को विस्तृत करती हैं जिसकी वजह से रक्तचाप गिरता है।
सामान्य अतिरिक्त प्रभाव: पैरों में सूजन
- एन्जियोटेन्सिन कन्वर्टिंग एन्ज़ाईम रोधक (ए-सी-इ इन्हिबिटर्स) (जैसे केप्टोप्रिल, एनालाप्रिल, लिसिनोप्रिल, इत्यादि)
रेनिन नामक हारमोन जिसका गुर्दे में उत्पादन होता है, एन्जियोटेन्सिनोजेन नामक पदार्थ पर काम करता है और उसे एन्जियोटेन्सिन १ और २ में परिवर्तित करता है।
एन्जियोटेन्सिन २ रक्त वाहिकओं को संकुचित करने का प्रभावशाली कारक होता है।
ये दवाइयाँ॑ - ए-सी-इ इन्हिबिटर्स – एन्जियोटेन्सिन परिवर्तन करनेवाले एन्ज़ाईम पर काम करते हैं और एन्जियोटेन्सिन बनने से रोकते हैं।
सामान्य अतिरिक्त प्रभाव: खांसी, पोटेशियम में वृद्दि
- एन्जियोटेन्सिन २ ब्लाकर्स (रोधक) जैसे लोसरटान, वल्सरटान, इरबेसारटान, इत्यादि
ये दवाइयाँ॑ रक्त वाहिकाओं पर एन्जियोटेन्सिन २ के काम पर रुकावट डालते हैं।
सामान्य अतिरिक्त प्रभाव: खांसी, पोटेशियम में वृद्दि।
- आल्फा ब्लाकर्स (रोधक) (जैसे प्राज़ोसिन, इत्यादि)
रक्त वाहिकाओं में आल्फा रिसेप्टर्स मौजूद रहते हैं।
इनके उत्तेजित होने से रक्तवाहिका संकुचित हो जाती हैं जिससे रक्तचाप उच्च होता है।
ये दवायें आल्फा रिसेप्टर्स के लिये रोधक बनते हैं जिससे रक्तचाप गिरता है।
सामान्य अतिरिक्त प्रभाव: पैरों में सूजन
- बीटा ब्लाकर्स (रोधक) (जैसे अटेनेलोल, मेटोप्रोलोल, इत्यादि)
ये दवायें बीटा रिसेप्टर्स के लिये रोधक बनते हैं।
बीटा रिसेप्टर्स ज़्यादातर हृदय में पाये जाते हैं।
इनको रोकने से रक्तचाप और हृदय दर, दोनों में गिरावट होती है।
- केन्द्रीय रूप से काम करने वाली दवाइयाँ॑ (जैसे क्लोनिडिन, रिसेरपिन, इत्यादि)
ये दवाइयाँ॑ केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र पर काम करती हैं जिससे कुछ खास हारमोन्स के उत्पादन में गिरावट होती है तथा जिसकी वजह से रक्तचाप में भी गिरावट होती है।
सामान्य अतिरिक्त प्रभाव: उदासी
रक्तचाप अच्छे नियंत्रण में आने के बावजूद, अपने फिजिशियन (चिकित्सक) की सलाह के बिना दवाइयों को लेना बंद न करें।
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