मशहूर नेफ़रॉलाजिस्ट (गुर्दारोग विशेषज्ञ)
डा. राजन रविचन्द्रन कहते हैं
"मधुमेह और उच्च रक्तचाप, जीर्ण गुर्दा रोग (क्रानिक किडनी डिसीज़ – सी के डी) की ओर ले जा सकते हैं " >>
रक्त शुद्धीकरण और बदन में पानी और इलेक्ट्रोलाइट के बीच संतुलन बनाए रखना गुर्दों का सामान्य कार्य है जिससे शरीर के आंतरिक वातावरण सही रहता है।
इसलिये गुर्दा रोग में बीमारी के लक्षण बदन के किसी भी अंग में लक्षित हो सकते हैं।
हमारे खाने के चयापचय से उत्पादित होनेवाले अशुद्ध पदार्थों को शरीर के बाहर निकालना गुर्दे का दूसरा कार्य है।
इसकी एक और शाखा है: जो दवाइयाँ हम लेते हैं वे भी गुर्दों द्वारा ही बाहर निकाली जाती हैं।
ईरिथ्रोपोलेटिन, विटामिन-डी, रेनिन जैसे हारमोन्स का उत्पादन करना भी गुर्दों के अन्य कार्यों में है।
ईरिथ्रोपोलेटिन का संबन्ध रक्त उत्पादन से है, विटामिन-डी का हड्डी माडेलिंग और विकास से और रेनिन का रक्तचाप से।